उन श्रीगुरु को नमन है॥ ७७ ॥ सप्त सागर पर्यन्तं तीर्थास्नादिकं फलम्।
3.
यह उपलब्ध न होने पर सप्त सागर (सात स्थानों का जल) स्थापित करें।
4.
भूमि सप्त सागर मेखला भूप एक रघुपति कोसला ' कहकर एक तरह से भारत की एकता और समरस संस्कृति का परिचय देते हैं।
5.
सप्तऋषि आश्रम-इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है।
6.
प्रचार प्रमुख अनिल आगा ने बताया कि कुंड में सभी पवित्र नदियों व सप्त सागर का जल तथा नवग्रहों से संबंधित औषधियों का मिश्रण भी किया जाएगा।
7.
गुरोरङ् घ्रपयोबिन्दु सहस्रांशेन दुर्लभम्॥ ७ ८ ॥ सप्त सागर पर्यन्त जितने भी तीर्थ उन सभी के स्नान का फल गुरुदेव के पादप्रक्षालन के जल बिन्दुओं का हजारवाँ हिस्सा भी नहीं है॥ ७ ८ ॥ हरौ रुष्टे गुरस्राता गुरौ रुष्टे न कश्चन।